1857 की क्रान्ति एवं हरियाणा
विषय सूची
1857 की क्रान्ति एवं हरियाणा
- हरियाणा में ‘चौदहा की साल’ मुहावरा सन् 1857 की क्रान्ति से सम्बन्धित है, जोकि विक्रमी संवत् वर्ष 1914 में हुई थी।
- 10 मई, 1857 को मेरठ में हुए सैनिक विद्रोह की आग 13 मई, 1857 को हरियाणा के अम्बाला कैण्ट तक पहुँच गई। परिणामस्वरूप विद्रोही सैनिकों का सामना गुरुग्राम के कलेक्टर विलियम फोर्ड से हुआ ।
- अन्ततः फोर्ड को अपनी जान बचाकर वहाँ से भागना पड़ा।
- 17 जून, 1857 को ऊधा नामक गाँव (हिसार) में नवाब नूर मोहम्मद खाँ और अंग्रेजों में झड़प हो गई, जिसमें नवाब को गिरफ्तार करके फाँसी दे दी गई।
- हिसार, हाँसी तथा सिरसा में स्थित ‘लाइट इन्फैण्ट्री’ ने भी बगावत की ।
- अंग्रेजों ने हिसार पर अधिकार करने के लिए 17 जुलाई, 1857 को कोर्टलैण्ड के नेतृत्व में सेना भेजी।
- सन् 1857 की क्रान्ति में बल्लभगढ़ के अन्तिम राजा नाहर सिंह शहीद हो गए थे ।
- जयपुर राज्य के अंग्रेज रेजीडेण्ट मेजर ऐडन ने मेवातियों के विद्रोह को कुचलने का प्रयास किया, किन्तु हरियाणा के सोहना व तावडू के संघर्ष में उसे पराजित होकर भागना पड़ा।
- रोहतक पर स्थिति को नियन्त्रित करने के लिए अंग्रेजों ने अम्बाला से एक सेना अगस्त को हडसन के नेतृत्व में भेजी थी।
- हडसन ने रोहतक को जीन्द राज्य के अधीन किया।
- क्रान्ति में प्रमुख योगदान देने वाले व्यक्तियों में फर्रुखनगर के नवाब अहमद अली, बल्लभगढ़ के अन्तिम राजा नाहर सिंह और पटौदी के अकबर अली सम्मिलित थे, इनके अतिरिक्त दो अहीर भाई, नारनौल (रेवाड़ी) से राव तुलाराम और गोपाल देव शामिल थे।
- राव तुलाराम की याद में 23 सितम्बर (सन् 1857) को प्रतिवर्ष ‘शहीदी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
हरियाणा में 1857 की क्रान्ति के नेता
क्षेत्र | स्थान | नेतृत्व |
गुडगाँव | मेवात
अहीरवाल पलवल फरीदाबाद बल्लभगढ़ फर्रुखनगर पटौदी |
सदरुद्दीन (किसान)
तुलाराम (मुख्य सामन्त ) गफूर अली (व्यापारी), हरसुख राय (किसान) धानू सिंह (किसान) नाहर सिंह (मुख्य सामन्त ) अहमद अली (मुख्य सामन्त ), गुलाम मोहम्मद (सरकारी कर्मचारी) अकबर अली (मुख्य सामन्त ) |
पानीपत | पानीपत | इमाम अली कलन्दर (मौलवी) |
रोहतक | खरखौदा
सांपला दुजाना दादरी |
बिसारत अली (भूतपूर्व रिसालदार)
साबर खाँ (किसान) हसन अली (मुख्य सामन्त ) बहादुरजंग (मुख्य सामन्त ) झज्जर, अब्दुल रहमान (मुख्य सामन्त ), अब्दुस्समद (झज्जर नवाब का जनरल) |
हिसार | भट्टू
हाँसी रानियाँ लोहारू |
मोहम्मद आजम (सरकारी कर्मचारी)
हुकमचन्द (सरकारी कर्मचारी) नूर मोहम्मद खाँ (मुख्य सामन्त ) अमीनुद्दीन (मुख्य सामन्त ) |
अम्बाला | रोपड़ | मोहन सिंह |
करनाल, जलमाना, थानेसर, लाड़वा, अम्बाला तथा जगाधरी से 1857 ई. की क्रान्ति का नेतृत्व किसी नेता द्वारा नहीं किया गया।
क्रान्ति के केंद्र
अम्बाला
- 10 मई, 1857 को मेरठ में हुए सैन्य विद्रोह के बाद 13 मई, 1857 को अम्बाला छावनी के सैनिकों ने भी क्रान्ति की शुरुआत करने की योजना बनाई थी।
- अम्बाला की 5वीं पलटन ने विद्रोह किया। इस विद्रोह का नेतृत्व मोहन सिंह ने किया। विद्रोही सैनिकों को नियंत्रित करने के लिए विलियम फोर्ड अम्बाला पहुँचा।
- विलियम फोर्ड ने भारतीय सैनिकों को घेरकर समर्पण के लिए बाध्य कर दिया, किन्तु मेरठ के सैनिकों ने दिल्ली में अंग्रेजों पर आक्रमण करके देश में प्रथम स्वतन्त्रता आन्दोलन की शुरुआत कर दी गई थी।
गुरुग्राम
- 13 मई, 1857 को दिल्ली से 300 सैनिकों का एक दस्ता गुरुग्राम की ओर बढ़ा।
- अंग्रेज कलेक्टर विलियम फोर्ड ने उन्हें रोकने का प्रसार किया, किन्तु असफल रहा। सैनिकों ने गुरुग्राम के सरकारी खजाने को लूट लिया।
- राव तुलाराम ने अपने भाई गोपाल देव के साथ अहीरों को संगठित करके अंग्रेजों से नसीरपुर नामक स्थान पर संघर्ष किया।
- इन सफलताओं से प्रभावित होकर फर्रुखनगर के अहमद अली और बल्लभगढ़ के अन्तिम शासक नाहरसिंह भी क्रान्ति में शामिल हो गए, किन्तु उन पर अंग्रेजों के साथ सम्बन्ध रखने के आरोप भी लगते रहे।
- जून, 1857 में जयपुर राज्य के अंग्रेज रेजीडेण्ट मेजर ऐडन ने एक बड़ी सैनिक टुकड़ी और तोपखाने के साथ मेवातियों के विद्रोह को कुचलने का प्रयास किया।
- हरियाणा के सोहना और तावडू के मध्य कई संघर्ष हुए। अन्त में मेजर ऐडन को असफल होकर वापस जाना पड़ा।
रोहतक
- रोहतक में मई 1857 के अन्त में क्रान्ति का आरम्भ हुआ। रोहतक पर अंग्रेजों का नियन्त्रण लगभग समाप्त हो गया।
- अंग्रेजों ने अम्बाला से एक सेना रोहतक पर नियन्त्रण करने के लिए भेजी, किन्तु इस सेना ने भी विद्रोह कर दिया।
- अगस्त, 1857 में हडसन के नेतृत्व में एक सैन्य टुकड़ी ने रोहतक के निकट सूबेदार बिसारत से खरखौदा में कड़ा मुकाबला किया और यहाँ पर अंग्रेजों ने विजय प्राप्त की। जीन्द के राजा ने हडसन का साथ दिया
- हडसन ने रोहतक पर अधिकार कर जीन्द में मिला दिया, किन्तु दिल्ली में अंग्रेजों की कमजोर स्थिति के कारण उसे वापस लौटना पड़ा।
हिसार एवं सिरसा
- मई, 1857 में मोहम्मद आजम के नेतृत्व में हिसार में भी विद्रोह की शुरुआत हुई और हरियाणा लाइट इन्फैण्ट्री की सैन्य टुकड़ियों ने हिसार व सिरसा में स्थित अपने शिविरों में विद्रोह कर दिया।
- जनरल वार्न कोर्टलैण्ड के नेतृत्व में फिरोजपुर से आई अंग्रेज सेना ने क्रान्तिकारियों से मुकाबला किया।
- जून, 1857 में ऊधा ग्राम में नवाब नूर मोहम्मद खान के नेतृत्व में क्रान्तिकारियों ने अंग्रेजों से संघर्ष किया। इस संघर्ष में अंग्रेज सेना विजयी हुई।
- इसके बाद अंग्रेज सेना ने चतरावन नामक ग्राम में उत्पात व लोगों पर अत्याचार किए। इस ग्राम के लोगों ने एक अंग्रेज अधिकारी हिलार्ड को मार दिया।
- अंग्रेजों ने खिरका नामक ग्राम में भी निर्दयतापूर्वक लोगों को मारा व ग्राम में आग लगा दी।
थानेसर
- पानीपत और कुरुक्षेत्र के निकट थानेसर में भी 1857 की क्रान्ति का प्रभाव रहा।
- पानीपत में विद्रोह का नेतृत्व इमाम अली कलन्दर ने किया। यहाँ पर लोगों ने अंग्रेजी प्रशासन का प्रभाव लगभग पूरी तरह समाप्त कर दिया।
- पंजाब व उत्तरी भारत को दिल्ली से जोड़ने वाला मुख्य मार्ग जीटी रोड इन्हीं क्षेत्रों से गुजरता था।
- अतः अंग्रेज इस क्षेत्र पर अधिकार बनाए रखना चाहते थे। अंग्रेजों ने अपने समर्थक पटियाला, कुंजपुरा, जीन्द व करनाल के स्थानीय शासकों की सहायता से इस क्षेत्र में क्रान्ति को दबाना चाहा, किन्तु प्रारम्भ में अंग्रेजों की पराजय हुई।
- करनाल में भी विद्रोह होने पर अंग्रेज सेना ने हमला किया, जिसमें अंग्रेज बुरी तरह पराजित होकर भागे ।
- पानीपत में कलन्दर मस्जिद के इमाम के नेतृत्व में भी क्रान्तिकारियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध आवाज उठाई।
1857 ई. की क्रान्ति का अंग्रेजों द्वारा दमन
- 1875 ई. की क्रान्ति का दिल्ली में दमन करने के पश्चात् अंग्रेज दिल्ली से लगे हरियाणा की ओर बढ़ने लगे।
- हरियाणा के तोशाम में क्रान्ति का दमन करने के लिए ब्रिटिश जनरल वैन कोर्टलैण्ड को नियुक्त किया गया। कोर्टलैण्ड ने हाँसी के निकट क्रान्तिकारियों का दमन किया।
- हिसार तथा रोहतक में कैप्टन पीयर्सन ने क्रान्तिकारियों का दमन किया।
- थानेसर क्षेत्र में डिप्टी कमिश्नर मैकनील ने क्रान्तिकारियों का दमन किया।
- सहायक कमिश्नर किल्फोर्ड ने दिल्ली से सोहना क्षेत्र तक क्रान्ति का दमन किया था।
- किल्फोर्ड की मृत्यु के पश्चात् ब्रिगेडियर जनरल शावर्स ने मेवात पर आक्रमण किया, झज्जर के नवाब अब्दुर्रहमान खाँ ने छुछकवास में शावर्स के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
- झज्जर को जीतने के पश्चात् जनरल शावर्स ने फर्रुखनगर पर आक्रमण किया। फर्रुखगनर के नवाब अहमद अली ने बिना युद्ध किए ही आत्मसमर्पण कर दिया।
- शावर्स के पश्चात् कर्नल जेरार्ड ने मेवात में उभरने वाले विद्रोह को शान्त किया।
- कर्नल जेरार्ड को मेवात के पश्चात् नारनौल में हिसार के शहजादा मुहम्मद आजिम बेग, झज्जर के जनरल समद तथा राव तुलाराम के संयुक्त विद्रोह का सामना करना पड़ा था। इस युद्ध में अंग्रेजी सेना विजयी रही।
- 1857 ई. में हरियाणा के क्रान्तिकारियों की पराजय का प्रमुख कारण नेतृत्व का अभाव, अपर्याप्त शस्त्र रियासतों का आन्तरिक सहयोग आदि थे।
हरियाणा में 1857 की क्रान्ति के परिणाम
- 1857 ई. की क्रान्ति का हरियाणा की प्रशासनिक तथा राजनैतिक व्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा।
- 1858 ई. के चार्टर एक्ट में उत्तर पश्चिम हरियाणा का अधिकार क्षेत्र पंजाब प्रान्त में शामिल कर दिया गया।
- प्रशासनिक दृष्टिकोण से हरियाणा क्षेत्र को दो डिविजनों में विभाजित कर दिया गया- दिल्ली डिविजन एवं हिसार डिविजन।
- दिल्ली डिविजन का मुख्यालय दिल्ली था। इसमें दिल्ली, गुरुग्राम तथा पानीपत जिले को सम्मिलित किया गया।
- हिसार डिविजन का मुख्यालय हिसार में था। इसके अन्तर्गत हिसार, सिरसा और रोहतक जिले को शामिल किया गया था। प्रत्येक जिले की व्यवस्था डिप्टी कमिश्नर के अधीन थी।
- बहादुरगढ़ के शासक क्रान्ति में शामिल नहीं थे, इसके पश्चात् इनकी रियासत हड़प ली गई। दोजाना, पटौदी और लौहारु रियासतों को रियायत दी गई।
- जीन्द, नाभा और पटियाला रियासत के शासकों ने क्रान्ति के दौरान अंग्रेजों का साथ दिया था, जिसके बदले में इन्हें इनाम दिया गया।
- जीन्द रियासत के राजा सरूपसिंह को दादरी की पूरी रियासत तथा महेन्द्रगढ़ के कानोड के कुछ परगने इनाम में दिए गए। नाभा के राजा को काँटी एवं बावल परगने दे दिए गए तथा पटियाला रियासत के महाराजा को नारनौल के समीपवर्ती क्षेत्र का बहुत बड़ा भू-भाग पुरस्कारस्वरूप दिया गया।
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