हरियाणा

हरियाणा का उदय

हरियाणा का उदय

पृथक् राज्य की माँग

  • ब्रिटिश सरकार ने 1857 के विद्रोह के बाद 1858 ई. में हरियाणा राज्य का अधिकांश भाग पंजाब प्रान्त में शामिल कर दिया।
  • पृथक् हरियाणा राज्य के लिए वर्ष 1907 से माँग प्रारम्भ हो गई थी।
  • इस माँग का भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रमुख नेता लाला लाजपत राय व अरुणा आसफ अली द्वारा समर्थन किया गया।
  • कुछ समय पश्चात् एक स्वायत्त हरियाणा राज्य के गठन के लिए श्रीराम शर्मा की अध्यक्षता में हरियाणा विकास समिति का गठन किया गया, हालाँकि यह प्रयास सफल नहीं हुआ।
  • हरियाणा क्षेत्र को पंजाब प्रान्त से अलग कर दिल्ली में मिलाने की माँग प्रथम बार वर्ष 1926 में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के दिल्ली अधिवेशन में स्वागत समिति के अध्यक्ष पीरजादा मुहम्मद हुसैन ने की थी।
  • दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने वर्ष 1928 में दिल्ली में हुए सर्वदलीय सम्मेलन में यह माँग पुनः की।
  • द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भी ज्योफरी कॉर्बेट ने अम्बाला डिवीजन (हरियाणा) को पंजाब से अलग करने की बात कही। गाँधीजी ने भी इसका समर्थन किया।
  • दीनबन्धु गुप्ता ने 9 दिसम्बर, 1932 को पंजाब प्रान्त से अलग कर हरियाणा राज्य की माँग की।
  • कांग्रेस के नेता डॉ. पट्टाभि सीतारमैया ने दिल्ली में वर्ष 1946 में हुए अखिल भारतीय भाषायी कॉन्फ्रेंस में दीनबन्धु गुप्ता की अलग हरियाणा की माँग का समर्थन किया।
  • स्वतन्त्रता के समय हरियाणा पेप्सू अर्थात् पटियाला और पूर्वी पंजाब स्टेट्स (Patiala and East Punjab States Union, PEPSU) का ही भाग था। वर्ष 1948 में मास्टर तारासिंह ने अपने पत्र ‘अजीत’ में सिख राज्य की माँग की। 
  • कम्युनिस्ट पार्टी पेप्सू ने भी पंजाबी सूबे की माँग की, जिसका लोगों द्वारा समर्थन भी किया गया।

सच्चर फॉर्मूला

  • वर्ष 1949 में पंजाब राज्य के मुख्यमंत्री भीमसेन सच्चर के शासन के कार्यकाल में ही हिन्दी व पंजाबी भाषा को लेकर विरोध किया गया। इसके समाधान के लिए 1 अक्टूबर, 1949 को ‘सच्चर फॉर्मूला’ लागू हुआ।

सच्चर फॉर्मूले के आधार पर हिन्दी व पंजाबी भाषा क्षेत्र

  • सच्चर फॉर्मूला के अन्तर्गत पंजाब प्रान्त को दो क्षेत्रों में विभाजित कर दिया गया-हिन्दी क्षेत्र और पंजाबी क्षेत्र।
    • हिन्दी क्षेत्र रोहतक, गुड़गाँव (गुरुग्राम), करनाल, काँगड़ा व हिसार जिलों तथा नारायणगढ़ व जगाधरी तहसीलों (अम्बाला) को हिन्दी क्षेत्र में शामिल किया गया। हिन्दी क्षेत्र की सरकारी भाषा हिन्दी (देवनागरी लिपि) निर्धारित की गई।
    • पंजाबी क्षेत्र पंजाब प्रान्त के शेष भाग को इस क्षेत्र में रखा गया। पंजाबी क्षेत्र की सरकारी भाषा पंजाबी (गुरुमुखी लिपि) निर्धारित की गई।
    • सच्चर फॉर्मूले के अनुसार ही प्री यूनिवर्सिटी परीक्षा तक हिन्दी क्षेत्र में हिन्दी व पंजाबी क्षेत्र में पंजाबी शिक्षा का माध्यम तय किया गया।
    • पंजाबी क्षेत्र के प्रत्येक स्कूल में द्वितीय भाषा के रूप में हिन्दी व हिन्दी क्षेत्र के प्रत्येक स्कूल में द्वितीय भाषा के रूप में पंजाबी पढ़ाना अनिवार्य था।

राज्य पुनर्गठन आयोग

  • 29 दिसम्बर, 1953 में गठित राज्य पुनर्गठन आयोग ने भाषायी एवं संस्कृति के आधार पर पंजाब राज्य के विभाजन की माँग को अस्वीकार कर दिया। 
  • साथ ही पटियाला और पूर्वी पंजाब स्टेट्स को पंजाब क्षेत्र में तथा महेन्द्रगढ़ और जीन्द को हरियाणा क्षेत्र में शामिल करने की सिफारिश की।
  • इस आयोग के अध्यक्ष फजल अली थे, इसलिए इसे फजल अली आयोग भी कहते हैं।
  • अप्रैल, 1955 में प्रदेश की सीमा निर्धारण हेतु रोहतक आए राज्य पुनर्गठन आयोग के समक्ष हरियाणा क्षेत्र के कांग्रेसी विधायकों ने पृथक् हरियाणा राज्य की माँग रखी।

क्षेत्रीय फॉर्मूला

  • अप्रैल, 1956 में केन्द्र सरकार क्षेत्रीय फॉर्मूला लाई। इसमें दोनों क्षेत्रों (हरियाणा व पंजाब) के लिए एक ही विधानसभा व राज्यपाल बनाने के प्रावधान के साथ सच्चर फॉर्मूले के प्रावधान को आगे बढ़ाया गया।
  • इस फॉर्मूले को 24 जुलाई, 1956 से लागू कर दिया गया। क्षेत्रीय फॉर्मूले के प्रावधान निम्न थे
    • पंजाब द्विभाषी राज्य है तथा हिन्दी व पंजाबी इसकी सरकारी भाषाएँ होंगी।
    • सम्पूर्ण राज्य को दो क्षेत्रों में विभाजित कर दिया गया – हिन्दी क्षेत्र व पंजाबी क्षेत्र। दोनों क्षेत्रों में जिला एवं उसके नीचे के क्षेत्र के विभिन्न छोटे-छोटे भागों की अपनी भाषा तय की गई। प्रत्येक क्षेत्र के अल्पसंख्यकों को पूरी सुरक्षा प्राप्त होगी। 
    • केन्द्र सरकार ने दोनों भाषाओं पंजाबी एवं हिन्दी के विकास में सहयोग करने का विश्वास दिलाया।

क्षेत्रीय फॉर्मूले के आधार पर हिन्दी व पंजाबी क्षेत्र

  • हिन्दी क्षेत्र रोहतक, गुड़गाँव (गुरुग्राम), करनाल, हिसार, अम्बाला, जगाधरी एवं नारायणगढ़ तहसीलें, महेन्द्रगढ़, शिमला, काँगड़ा, कोहिस्तान (वर्तमान पटियाला) एवं संगरूर की जीन्द व नरवाना तहसीलें ।
  • पंजाबी क्षेत्र लुधियाना, अमृतसर, होशियारपुर, जालन्धर, गुरदासपुर, फिरोजपुर, अम्बाला की रोपड़ और खरड़ तहसीलें, भटिण्डा, कपूरथला, पटियाला, बरनाला (वर्तमान संगरूर), संगरूर और सुनाम तहसीलें एवं फतेहाबाद साहिब (वर्तमान पटियाला) ।
  • क्षेत्रीय योजना के अनुसार खरड़ तहसील के निम्न स्थानों को हिन्दी क्षेत्र में शामिल करने के निर्देश दिए गए
    • कालका थाने का क्षेत्र
    • चण्डी मन्दिर की जेल
    • नारायणगढ़ निर्वाचन क्षेत्र में स्थित 17 गाँव

क्षेत्रीय फॉर्मूले की असफलता व सन्त फतेहसिंह

  • भारतीय संविधान में वर्ष 1956 में 7वाँ संशोधन होने के बाद 24 जुलाई, 1956 को पंजाब सरकार ने क्षेत्रीय फॉर्मूला लागू कर दिया।
  • पंजाब सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रतापसिंह कैरो ने क्षेत्रीय फॉर्मूले को सफलतापूर्वक लागू नहीं किया।
  •  इन्होंने क्षेत्रीय कमेटियों की शक्तियाँ सीमित कर दीं तथा उनकी कार्य स्वतंत्रता भी लगभग समाप्त कर दी थी, जिसके परिणामस्वरूप यह फॉर्मूला पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सका।
  • वर्ष 1965 में अकाली दल के प्रमुख नेता सन्त फतेहसिंह ने पंजाबी सूबे के लिए 15 दिन के अनशन करने की घोषणा की, जिसकी प्रतिक्रिया हरियाणा क्षेत्र में भी हुई तथा अलग हरियाणा प्रान्त की माँग की गई।
  • पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के कारण सन्त फतेहसिंह ने अपना अनशन स्थगित कर दिया। युद्ध के पश्चात् उन्होंने पुनः 10 अगस्त, 1965 को 25 दिन का अनशन करने की घोषणा की।
  • 23 सितम्बर, 1965 को भारत सरकार ने लोकसभा अध्यक्ष हुकुम सिंह की अध्यक्षता में पंजाब विभाजन पर विचार करने के लिए एक संसदीय समिति का गठन किया।
  • इसी दौरान अक्टूबर, 1965 में हरियाणा के विधायकों द्वारा रोहतक में आयोजित सभा में तीन प्रस्ताव पारित किए गए, जो निम्नलिखित हैं
    • एक नए हिन्दी भाषी राज्य का निर्माण किया जाए, जिसमें पंजाब के हिन्दी भाषी क्षेत्र के अतिरिक्त दिल्ली, उत्तर प्रदेश व राजस्थान के भी कुछ भाग शामिल हों।
    • दिल्ली, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान यदि इस योजना पर सहमत न हों, तो पंजाब के हिन्दी भाषी क्षेत्रों को मिलाकर पृथक् हरियाणा का गठन करें।
    • पंजाब में पहले से निर्धारित हिन्दी क्षेत्र को कम करने की अनुमति नहीं होगी।
  • 3 मार्च, 1966 को हरियाणा संघर्ष समिति ने चौधरी देवीलाल के नेतृत्व में सन्त फतेहसिंह से भेंट की। 
  • अन्ततः हुकुम सिंह समिति ने पंजाब का पुनर्गठन स्वीकार कर लिया तथा शाह आयोग (पंजाब सीमा आयोग) बनाने की सिफारिश की।

शाह आयोग

  • भारत सरकार ने 23 अप्रैल, 1966 में तीन सदस्यीय शाह आयोग का गठन किया, जिसके अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जे सी शाह थे तथा अन्य सदस्यों में एस दत्त और एम एम फिलिप शामिल थे। जे सी शाह के नाम पर ही इस आयोग का नाम शाह आयोग पड़ा।
  • पंजाब सीमा आयोग ने अपनी रिपोर्ट 31 मई, 1966 को सौंपी, जिसमें हिन्दी भाषी क्षेत्र के साथ खरड़ (चण्डीगढ़ सहित), नारायणगढ़ व जगाधरी (अम्बाला) तहसीलों को हरियाणा में शामिल करने का सुझाव दिया गया। एस दत्त खरड़ तथा चण्डीगढ़ को हरियाणा में शामिल करने के पक्ष में नहीं थे।

हरियाणा का नए राज्य के रूप में उदय

  • शाह आयोग द्वारा पंजाब सीमांकन के पश्चात् 18 सितम्बर, 1966 को संसद ने पंजाब पुनर्गठन एक्ट पारित किया।
  • लोकसभा में पंजाब पुनर्गठन विधेयक तत्कालीन गृहमन्त्री गुलजारीलाल नन्दा ने प्रस्तुत किया था।

पंजाब पुनर्गठन विधेयक

पंजाब पुनर्गठन विधेयक के मुख्य बिन्दु इस प्रकार थे

  1. निश्चित दिन से एक नए राज्य का निर्माण किया जाएगा, जिसे हरियाणा कहा जाएगा, जिसमें पंजाब राज्य के निम्न क्षेत्र शामिल होंगे

(क) गुड़गाँव, करनाल, महेन्द्रगढ़, हिसार व रोहतक जिला ।

(ख) संगरूर जिले की जीन्द और नरवाना तहसील ।

(ग) अम्बाला जिले की अम्बाला, नारायणगढ़ और जगाधरी तहसील ।

(घ) अम्बाला जिले की खरड़ तहसील के अन्तर्गत पिंजौर कानूनगो सर्कल ।

(च) खरड़ तहसील के मनीमाजरा के कानूनगो सर्कल का प्रथम परिच्छेद में अनुसूचित क्षेत्र ।

  1. उप- अनुच्छेद (ख) में वर्णित क्षेत्र हरियाणा राज्य में जीन्द नाम से अलग जिला बनेगा।
  2. उप-अनुच्छेद (1) की धारा (ग), (घ) और (च) में वर्णित क्षेत्र से मिलकर हरियाणा राज्य में अम्बाला नाम से अलग जिला बनेगा। (अ) उप-अनुच्छेद (1) की धारा (घ) और (च) में वर्णित क्षेत्र नारायणगढ़ तहसील के अंग होंगे।
  3. (आ) उप-अनुच्छेद (1) की धारा (च) में वर्णित नारायणगढ़ तहसील के अन्तर्गत पिंजौर के कानूनगो सर्कल का अंग होगा।
  • अनुच्छेद-21 अत्यधिक महत्त्वपूर्ण था, क्योंकि इसमें पंजाब एवं हरियाणा के लिए संयुक्त उच्च न्यायालय का प्रावधान किया गया था।
  • इस प्रकार, भारतीय संविधान के 18वें संशोधन (1966) के अन्तर्गत 1 नवम्बर, 1966 को भारत के 17वें राज्य के रूप में हरियाणा का गठन किया गया। गठन के समय हरियाणा में सात जिले थे। ये सात जिले हिसार, करनाल, गुरुग्राम, रोहतक, अम्बाला, महेन्द्रगढ़ एवं जीन्द थे। 
  • हरियाणा राज्य के गठन के समय सबसे बड़ा जिला हिसार (13891 वर्ग किमी) तथा सबसे छोटा जिला जीन्द (2712 वर्ग ) था ।
  • श्री धर्मवीर को हरियाणा का प्रथम राज्यपाल नियुक्त किया गया तथा पण्डित भगवत दयाल शर्मा को प्रथम मुख्यमन्त्री बनाया गया।

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