स्वतन्त्रता संग्राम के महायोद्धा
नाहर सिंह
- ये 1829 ई. में बल्लभगढ़ रियासत के प्रशासक बने। इन्हें बल्लभगढ़ का शेर भी कहा जाता है।
- इन्होंने दिल्ली सम्राट बहादुरशाह जफर से मित्रता करके दिल्ली में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह में भाग लिया था।
- 23 सितम्बर, 1857 को अंग्रेज अधिकारी शावर्ज ने नाहरसिंह को घुड़साल में कैद कर दिया ।
- राजद्रोह का मुकदमा चलाकर अंग्रेजों ने इन्हें 9 जनवरी, 1858 को चाँदनी चौक पर सरेआम फाँसी पर लटका दिया था ।
अब्दुर्रहमान खान
- इन्हें झज्जर का नवाब भी कहा जाता है। इन्होंने 1857 ई. की क्रान्ति में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया था।
- इन्हें 23 अक्टूबर, 1857 को लाल किले के सामने फाँसी दी गई।
लाला हुकमचन्द जैन
- इनका जन्म 1816 ई. में हाँसी (हिसार) में हुआ था। ये सरकारी कर्मचारी थे ।
- इन्होंने झाँसी में 1857 ई. की क्रान्ति में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह किया और दिल्ली सम्राट को समर्थन प्रदान किया।
- इन्हें 19 जनवरी, 1858 को फाँसी दे दी गई।
राव तुलाराम
- इनका जन्म 9 दिसम्बर, 1825 को रेवाड़ी जिले में हुआ था।
- इन्होंने 1857 ई. की क्रान्ति के दौरान रेवाड़ी, बोहड़ा एवं शाहजहाँपुर पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया।
- हरियाणा राज्य में इन्हें राज नायक माना जाता है।
- नसीरपुर में इनका सामना अंग्रेजी सेना से हुआ।
- काफी लम्बे संघर्ष के बाद परमवीर योद्धा को पराजय स्वीकार करनी पड़ी और अन्त में इन्हें अफगानिस्तान भागना पड़ा।
- 23 सितम्बर, 1863 को काबुल में इनकी मृत्यु हो गई।
नवाब अहमद अली खाँ
- 20 सितम्बर, 1857 में दिल्ली सम्राट को अपनी गद्दी पुनः प्राप्त करने में नवाब अहमद अली गुलाम खाँ ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- राजद्रोही करार देकर अंग्रेजों ने उन्हें 22 जनवरी, 1858 को फाँसी की सजा सुना दी और 23 जनवरी, 1858 को चाँदनी चौक में कोतवाली के सामने सरेआम फाँसी पर लटका दिया।
नूर समन्द खाँ
- इनका रानियाँ (सिरसा) रियासत पर शासन था। 17 जून, 1857 को इनका औढ़ा गाँव में अंग्रेजी सेना से सामना हुआ, जिसमें इन्हें पराजय का सामना करना पड़ा।
- हुकमचन्द जैन ये सरकारी कर्मचारी थे तथा इन्होंने झाँसी में 1857 ई. की क्रान्ति में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह किया और दिल्ली सम्राट को समर्थन प्रदान किया।
- इन्हें 19 जनवरी, 1858 को फाँसी दे दी गई।
पण्डित नेकीराम शर्मा
- इनका जन्म रोहतक के कैलंगा गाँव में 4 सितम्बर, 1887 में हुआ था।
- ये वर्ष 1916 में तिलक के स्वराज संघ के सदस्य तथा वर्ष 1920 में डिविजनल कॉन्फ्रेंस के सचिव बने ।
- ये वर्ष 1925-30 तक लाला लाजपत राय और मदनमोहन मालवीय के साथ रहे।
- इन्होंने भिवानी से सन्देश नामक साप्ताहिक पत्र निकाला।
बनारसी दास
- वर्ष 1930-31 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भाग लेने के लिए घर से भाग गए तथा मेरठ के सत्याग्रही शिविर में चले गए।
- वर्ष 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान गिरफ्तार हुए तथा इन्हें दो वर्ष की सजा हुई।
- इनके द्वारा रेवाड़ी में नवयुवक सभा की स्थापना की गई।
चौधरी देवीलाल
- इनका जन्म सिरसा जिला के चौटाला गाँव में हुआ। ये हरियाणा में ताऊ देवीलाल के नाम से प्रसिद्ध थे।
- वर्ष 1930 में ये शिक्षा छोड़कर स्वयं सेवक बन गए।
- ये वर्ष 1942 के आन्दोलन में गिरफ्तार हुए तथा कारावास की सजा हुई।
- ये वर्ष 1952 में पंजाब में कांग्रेस के सदस्य बने तथा वर्ष 1962 के चुनाव में कांग्रेस के विरुद्ध चुने गए और विपक्षी दल के नेता बने ।
- ये हरियाणा के प्रमुख राजनीतिज्ञ थे। ये दो बार हरियाणा के मुख्यमन्त्री भी बने। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार में हरियाणा के मुख्यमन्त्री बने।
- ये वर्ष 1989 से 21 जून, 1991 तक भारत के उप-प्रधानमन्त्री रहे।
- 6 अप्रैल, 2001 को इनका निधन हो गया।
सर छोटूराम
- इनका जन्म 24 नवम्बर, 1881 को रोहतक के गढ़ी सांपला में हुआ था।
- इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई पूरी की तथा वर्ष 1916 में रोहतक से उर्दू साप्ताहिक जाट गजट का प्रकाशन किया।
- वर्ष 1923 में मुस्लिम नेता सर फजले हुसैन के साथ मिलकर हरियाणवी क्षेत्रों में यूनियनिस्ट पार्टी को लोकप्रिय बनाने के लिए जमींदार लीग की स्थापना की।
- वर्ष 1937 में इन्हें सर की उपाधि से सम्मानित किया गया। वर्ष 1938 में इनके द्वारा किसानों के लिए अनाज की बिक्री हेतु मार्केटिंग बोर्ड का गठन किया गया।
- सर छोटूराम को रहबर-ए-आजम व गरीबों और किसानों का मसीहा कहा जाता था।
- वर्ष 1945 में इनकी मृत्यु हो गई।
रायबहादुर लाला मुरलीधर
- इनका जन्म 1848 ई. में पलवल में हुआ था। इन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा ‘रायबहादुर’ तथा ‘कैसर-ए-हिन्द’ की उपाधि प्रदान की गई।
- यह राज्य में कांग्रेस के संस्थापक सदस्य रहे । इन्होंने वर्ष 1886 में राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया तथा जेल गए।
- इन्होंने रॉलेट एक्ट के विरोध में वर्ष 1921 में अपनी सभी उपाधियाँ लौटा दीं।
- इन्हें ‘ग्रैण्ड ओल्ड मैन ऑफ पंजाब’ के नाम से भी जाना जाता है।
पण्डित श्रीराम शर्मा
- इनका जन्म 1 अक्टूबर, 1899 को झज्जर में हुआ था।
- इन्होंने कांग्रेस के सभी पाँचों सत्याग्रहों 1921, 1930, 1932, 1940 तथा 1942 में भाग लिया तथा यह सात वर्षों तक कारावास में रहे।
- वर्ष 1923 में रोहतक से आजादी के समर्थन में हिन्दी और उर्दू में ‘हरियाणा तिलक’ नामक साप्ताहिक पत्र निकाला और ‘हरियाणा का इतिहास’ एवं ‘हरियाणा के नवरत्न’ का लेखक कार्य किया।
अब्दुल गफ्फार खाँ
- इनका जन्म 1888 ई. में अम्बाला जिले के लाहा गाँव में हुआ था। वर्ष 1919 में ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने ।
- 26 जनवरी, 1930 को इन्हीं के नेतृत्व में अम्बाला में स्वतन्त्रता दिवस मनाने हेतु सार्वजनिक सभा का आयोजन किया गया था।
- वर्ष 1952 में ये पंजाब विधानसभा के सदस्य बने तथा वर्ष 1966 में हरियाणा प्रान्त के गठन के पश्चात् हरियाणा मन्त्रिमण्डल के सदस्य रहे।
- इनकी मृत्यु 16 जून, 1976 को हुई थी।
रामसिंह जाखड़
- इनका जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के लड़ायन नामक गाँव में वर्ष 1916 में हुआ। ये स्वतन्त्रता सेनानी समिति के अध्यन भी रहे हैं।
सुचेता कृपलानी
- इनका जन्म हरियाणा के अम्बाला जिले में 25 जून, 1908 को हुआ था। ये एक प्रसिद्ध भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी एवं कुशल राजनीतिज्ञ थीं।
- सुचेता कृपलानी ने वर्ष 1942 में आरम्भ हुए भारत छोड़ो आन्दोलन के समय भूमिगत रूप से राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण एवं अरुणा आसफ अली के साथ मिलकर स्वतन्त्रता संग्राम की लड़ाई लड़ी।
- ये भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की प्रथम महिला मुख्यमन्त्री थीं, इनका कार्यकाल वर्ष 1963 से 1967 तक रहा।
- 1 दिसम्बर, 1974 को नई दिल्ली में इनकी मृत्यु हो गई ।
फतेह सिंह
- कैप्टन फतेह सिंह का जन्म हरियाणा के हिसार जिले के खेदड़ नामक गाँव में 5 अक्टूबर, 1912 को हुआ था।
- फतेह सिंह सुभाषचन्द्र बोस द्वारा स्थापित (1943 में) आजाद हिन्द फौज के सक्रिय सदस्य थे। इन्हें सुभाषचन्द्र बोस के द्वारा अक्टूबर, 1943 में आजाद हिन्द फौज की आर्म्स कॉपर्स कम्पनी का कैप्टन बनाया गया।
हरियाणा का आधुनिक इतिहास – Link