HomeHaryana

हरियाणा का भौगोलिक परिचय | हरियाणा GK

हरियाणा का भौगोलिक परिचय | हरियाणा GK

1 नवम्बर, 1966 को हरियाणा भारत के सत्तरहवें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। हरियाणा का विस्तार 27°39′ उत्तरी अक्षांश से 30°555′ उत्तरी अक्षांश तथा 74°278’8′ पूर्वी देशान्तर से 77°36’5′ पूर्वी देशान्तर तक है। 

इसके उत्तरी-पूर्वी भाग में हिमाचल प्रदेश, उत्तर-पश्चिमी भाग में पंजाब तथा पूर्वी भाग में यमुना नदी इसे उत्तर प्रदेश से पृथक् करती है। दक्षिण तथा पश्चिम में राजस्थान इसकी सीमा निर्धारित करता है। दक्षिण तथा पश्चिम के अनुसार हरियाणा वास्तव में गंगा-सिन्धु के अपवाह क्षेत्रों के बीच का विशाल जल विभाजक है।

हरियाणा राज्य के पश्चिम व दक्षिण में राजस्थान विस्तृत है। दक्षिण-पूर्व में केन्द्रशासित राज्य दिल्ली है। हरियाणा भारत का भू-आवेष्ठित (Land Locked) राज्य है, जिसका क्षेत्रफल 44,212 वर्ग किमी है, जो देश के कुल क्षेत्रफल का 1.34% है।

हरियाणा भू-भाग का लगभग सम्पूर्ण क्षेत्र ‘मेसोजोइककाल’ (मध्य – जीवयुग) के दौरान उभरा तथा नदी, नाले, पहाड़, टीले आदि का सुचारु रूप से निर्माण ‘केनेजोइक’ (तीसरे जीवयुग) के दौरान हुआ। 

  • केनेजोइक काल में ही राज्य की भू-स्थिति, जलवायु आदि का निर्धारण हुआ। 
  • हरियाणा राज्य घग्घर और यमुना नदियों के मध्य स्थित एक विशाल समतल मैदानी भाग है।
  • हरियाणा के उत्तर-पूर्वी भाग में पंचकुला जिले में शिवालिक श्रेणियाँ तथा दक्षिणी भाग में अरावली पर्वत की अवशिष्ट पहाड़ियाँ पाई जाती हैं। इन दोनों उच्च भूमियों के मध्य यह सपाट विशाल मैदान है।
भौगोलिक क्षेत्र

भौगोलिक दृष्टि से हरियाणा को तीन इकाइयों में वर्गीकृत किया जाता है।

कुरुक्षेत्र

  • यह क्षेत्र 28°30 से 30° उत्तरी अक्षांश तथा 76°21 से 77° पूर्वी देशान्तर के मध्य विस्तृत है।
  •  इसमें पूर्व का करनाल जिला और जीन्द के क्षेत्र सम्मिलित हैं।

जटियात

  • 29°30 से 30° उत्तरी अक्षांश के मध्य विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र में हाँसी, फतेहाबाद व हिसार तहसीलें, भिवानी और रोहतक जिलों के भाग सम्मिलित हैं।
  • जाटों की अधिकता के कारण इसे जटियात क्षेत्र कहा जाता है।

भट्टियान

  • यह क्षेत्र फतेहाबाद और भट्टकला के मध्य स्थित है।
  • इस पर प्राचीन काल से भाटी राजपूतों का आधिपत्य रहा है।

उच्चावच (Physiography)

  • हरियाणा के उत्तर तथा दक्षिणी भाग के सीमित क्षेत्र को छोड़कर अधिकांश भाग मैदानी हैं जिसका उत्तर में शिवालिक की पहाड़ियों से दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम की ओर ढ़ाल है। 
  • यह मैदान सिन्धु-गंगा के मैदान का ही एक भाग है जिसका निर्माण हिमालय से निकलने वाली नदियों की निक्षेपण क्रिया के कारण हुआ है।
  • इस मैदान में अवसादों का विस्तृत जमाव है जिसकी मोटाई 1200 मीटर तक है।
  •  इसके उत्तर में शिवालिक की पहाड़ियों की संकीर्ण श्रृंखला है, जो कि हिमालय पर्वत का ही दक्षिणी भाग है। पंचकुला तथा अम्बाला जिले के उत्तरी भाग में मोरनी पहाड़ियों का क्षेत्र है।
  • हरियाणा के उत्तरी-पूर्वी तथा दक्षिणी एवं दक्षिण-पश्चिम भागों में उच्च भूमियाँ हैं, जबकि इन दोनों भागों के बीच में निम्न मैदानी क्षेत्र का विस्तार है। 
  • इसलिए पूरा हरियाणा राज्य एक तश्तरीनुमा भू-आकृति (Saucer shaped) जैसा है। इस राज्य का 68.2% भाग 300 मीटर से कम ऊँचा है।
  • मैदान के सुदूर दक्षिण में अरावली पहाड़ियों के अवशेष उत्तर तथा उत्तर-पूर्व की ओर विस्तृत हैं। पश्चिम में भिवानी, हिसार, फतेहाबाद तथा सिरसा जिलों के अधिकांश दक्षिणी भाग रेतीले हैं और यहाँ स्थान बदलते हुए बालू के टीले पाये जाते हैं।
  • यह ‘बांगर’ क्षेत्र है। यहाँ भौम जल स्तर की गहराई 30 मीटर से अधिक है और भूमिगत जल खारा है। हरियाणा के मैदान के दोनों ओर यमुना तथा घग्घर नदियों के बाढ़ के मैदान हैं।

शिवालिक की पहाड़ियाँ (Siwalik Hills) – 

    • पंचकुला तथा अम्बाला जिले के दक्षिणी भाग तथा केन्द्र शासित प्रदेश चण्डीगढ़ में शिवालिक की पहाड़ियाँ उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर फैली हुई हैं। 
    • यद्यपि ये पहाड़ियाँ उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र का ही एक भाग हैं, तथापि ये पहाड़ियाँ 365 मीटर से आरम्भ होती हैं और लगभग 1500 मी. तक ऊँची हैं। 
    • हरियाणा की शिवालिक पहाड़ियों का उच्चतम शिखर मोरनी पहाड़ियों में स्थित ‘कारोह-शिखर’ ( 1500 मीटर) है, जो हिमाचल प्रदेश के नाहन जिले की सीमा के निकट है। शिवालिक पहाड़ियों के दक्षिणी ढ़ाल नदी-नालों द्वारा कटे-फटे हुए हैं, जिससे गहरी घाटियाँ बन गई हैं।

गिरीपदीय मैदान ( Piedmont Plains) – 

    • यह भाग शिवालिक की पहाड़ियों के दक्षिण में यमुना नदी से घग्घर नदी तक एक चौड़ी पट्टी के रूप में अम्बाला जिले के उत्तरी भाग में फैला हुआ है।
    •  यह लगभग 25 किलोमीटर चौड़ी पट्टी है जो शिवालिक की पहाड़ियों तथा राज्य के अन्य मैदानी भागों में एक संक्रमण क्षेत्र के रूप में कार्य करती है। 
    • इसकी सामान्यतः ऊँचाई 300 से 375 मीटर है। शिवालिक पहाड़ियों से उतरती हुई पर्वतीय नदियाँ और नाले बहुत तीव्र वेग से बहते हुए यहाँ गहरे गड्ढ़ों का निर्माण करते हैं। यहाँ जलोढ़ पंख भी प्रायः देखने को मिलते हैं।

समतल मैदान (Plains) – 

    • इस भाग को हरियाणा का ‘हृदय स्थल’ (Heart Land) कहा जाता है। यह हरियाणा प्रदेश का सबसे बड़ा भाग है। यह मैदानी भाग अम्बाला जिले के दक्षिणी भाग, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, जद, सोनीपत, पानीपत तथा रोहतक जिलों में विस्तृत है। 
    • यह प्रदेश अपेक्षाकृत समतल मैदानी भाग है जिसकी ढ़ाल लगभग उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर है। पूर्व में यमुना नदी तथा उत्तर-पश्चिम में घग्घर नदी के ‘खादर’ पाये जाते हैं, जिनकी मिट्टी बाढ़ के कारण उपजाऊ है। 
    • इनके बीच अपेक्षाकृत ऊँचे प्राचीन मिट्टी वाला ‘बांगर’ क्षेत्र है। हरियाणा प्रदेश के मैदान यही ‘खादर’ और ‘बांगर’ क्षेत्र कृषि क्षेत्र के विस्तार के कारण घने बसे हुए हैं। ये क्षेत्र हरियाणा की आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

बाढ़ का मैदान (Flood Plains) –  

    • हरियाणा के मैदान के दोनों ओर पूर्व तथा पश्चिम में यमुना तथा घग्घर नदियों के बाढ़ के मैदान हैं। यमुनानगर जिले में यह बाढ़ का मैदान कुछ संकीर्ण है, परन्तु करनाल, पानीपत, सोनीपत जिलों में यह चौड़ा हो जाता है। 
    • दिल्ली को पार करने के पश्चात् फरीदाबाद जिले में यह फिर सँकरा हो जाता है। इसका धारातल असमान है। 
    • यहाँ झीलों तथा दलदल का विस्तार है। हरियाणा के उत्तर-पश्चिम में घग्घर तथा मारकण्डा नदियों द्वारा निर्मित बाढ़ के मैदान हैं जिन्हें ‘नैली’ तथा ‘बेट’ कहा जाता है।
    •  इन बाढ़ के मैदानों की मिट्टी नदियों द्वारा बहाकर लाई गई बलुई, सिल्ट और चीकायुक्त जलोढ़ मिट्टी है, जो उपजाऊ होती हैं।

बालूका स्तूपों वाला मैदान (Sanddune Plains) – 

    • यह भू-आकृति प्रदेश हरियाणा के पश्चिमी भाग में हैं और सिरसा जिले के दक्षिणी भाग से शुरू होकर फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, महेन्द्रगढ़ तथा झज्जर जिलों तक फैला हुआ है।

समुद्र तट से दूर स्थित होने के कारण हरियाणा की जलवायु महाद्वीपीय प्रकार की है । परन्तु भारत की जलवायु मानसूनी होने के कारण वृहत् तौर पर हरियाणा राज्य भी मानसूनी जलवायु के अन्तर्गत आता है।

वर्षा के अभाव में, ग्रीष्मकाल में तापमान ऊँचे और वाष्पीकरण की अधिकता तथा ठण्डी शीतऋतु का होना यहाँ की जलवायु की प्रमुख विशेषता है ।

इस राज्य की जलवायु गंगा के मैदान की आर्द्र जलवायु और राजस्थान है। की अर्द्ध-मरुस्थलीय जलवायु के बीच की कही जा सकती है।

Read More Articles- Link

HSSC CET ADMIT CARD जिला परिचय : सिरसा | हरियाणा GK जिला परिचय : हिसार