Effects of Climate Change | जलवायु परिवर्तन के प्रभाव |

Effects of Climate Change | जलवायु परिवर्तन के प्रभाव

विश्वीय ऊष्म तापमान (Global Warming)

  • सौर ऊर्जा का लगभग 75 प्रतिशत भाग पृथ्वी की सतह पर पहुँच गया है, जिसे पृथ्वी ने सोख लिया है, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हुई है।
  • तापमान के विकिरण का बचा हुआ अंश या हिस्सा फिर वापस वायुमण्डल के अन्दर मिल गया है। इसका कुछ अंश ग्रीन हाऊस गैसों में समा गया, इसके अतिरिक्त विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण अधिकतर कार्बन डाइ आक्साइड पैदा होती है और ध्रुत गति से फैल रही है या इसमें वृद्धि हो रही है। यह विश्वीय ऊष्म तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) में वृद्धि करने या होने का मुख्य कारण है ।
  • पिछले कुछ दशकों में औद्योगिकीकरण तथा जनसंख्या में वृद्धि तथा मानव गतिविधियों में वृद्धि होने के कारण वायुमण्डल प्रदूषित हुआ है और इसके दुश्य प्रभाव के कारण वायुमण्डल भयानक रूप से प्रभावित हुआ है।
  • इस तरह से पूर्व औद्योगिकीय समय से वायुमण्डल में 31 प्रतिशत कार्बन डाइ आक्साइड ही बनने की प्रक्रिया में वृद्धि हुई है और यह निम्न वायुमण्डल में सम्मिलित हुई है, जिसके तापमान से वायुमण्डल में वृद्धि हुई है।
  • हमारे पास इस बात के साक्ष्य हैं, कि अभी भी कार्बन डाइ आक्साइड के स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है।
  • संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन संरचना पर सम्मेलन UNFCC (United Nations Framework Convention on Climate Change ) के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन की गंभीरता पर विचार किया गया और ग्रीन हाऊस गैसों के प्रभाव को कम करने के लिए अनेक देशों ने सहमति दर्शाते हुए अपने हस्ताक्षर किए।
  • हालाँकि वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय समझौता जलवायु और समुद्र के स्तर में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने और इसके कुप्रभावों को रोकने में अधिक प्रभावी दिखाई नहीं देता है। 

अमल वर्षा (Acid Rain)

  • जब जीवाश्म ईंधन जैसे कि तेल और प्राकृतिक गैस जलते हैं तो रासायनिक पदार्थ सल्फर डॉइऑक्साइड (Sulfur Dioxide ) तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड (Nitrogen Oxide ) की उत्पत्ति होती है।
  • इस तरह के रासायनिक पदार्थ जल को प्रभावित करते हैं तथा अन्य रासायनिक पदार्थ सल्फूरिक अम्ल (Sulphuric Acid), नाइट्रिक अम्ल (Nitric Acid) तथा अन्य हानिकारक वायु को प्रदूषणिक या प्रदूषित करते हैं जैसे कि सल्फेट्स और नाइट्रिक आदि ।
  • ये रासायनिक पदार्थ वायुमण्डल की ओर ऊपर जाते हैं, जिनका वाहन या वायु द्वारा प्रवाह होता है और फिर अम्ल के रूप में धुंध या बर्फ की वर्षा पृथ्वी पर होती है। अम्लीय या तेज़ाबी वर्षा की मरक्यूरिक या संक्षारक प्रकृति के कारण पर्यावरण को विभिन्न तरीकों से हानि पहुँचती है। अम्ल या तेजाब से प्रदूषित होने के कारण कण और गैस का निर्माण होता है जब वह वर्षा में धुल जाती है और संक्षारक घुलन के रूप में बदल जाती है। इसे अमलीय अपसारण (Acid Depositions) अथवा तलछट के नाम से जानते हैं।

 

 ओजोन परत का अवक्षय ( Depletion of Ozone Layer)

  • जब आक्सीजन (Oxygen) पर सूर्य की किरणों का प्रभाव पड़ता है अथवा उसपर प्रकाश पड़ता है, इसके माध्यम से ओजोन का निर्माण होता है। यह पृथ्वी के तल से ऊपर लगभग 20 से 50 km की ऊँचाई पर एक परत बनी होती है।
  • यह वायुमण्डल में सूर्य की किरणों से प्राकृतिक रूप में बनी होती है । परन्तु यह बहुत धीमी गति से बनती है या इसका निर्माण होता है। ओज़ोन एक शक्तिशाली गंध सहित अत्यधिक ज़हरीली गैस होती है।
  • यह एक आक्सीजन का रूप होती है, जोकि इसके प्रत्येक अणु में परमाणु मौजूद होता है। यह धरातल के स्तर पर प्रदूषण के रूप में मानी जाती है तथा यह स्वास्थ्य के लिए बहुत ही घातक होती है और इसके कारण श्वास या श्वसन की बीमारी पैदा होती है जैसे कि अस्थमा और ब्रोनकाइटिस इत्यादि ।
  • इसके कारण वनस्पति, पेड़-पौधों और भूमि पर विशेष प्रकार की हानि होती है, उसे नुकसान होता है और उस पर यह प्लास्टिक तथा रबर की तरह से छा जाती है, जिससे भूमि और वनस्पति नष्ट हो जाते है।
  • ऊपर के वायुमण्डल में ओजोन से हालाँकि सभी तरह के प्राणियों की रक्षा होती है क्योंकि इसके रहने से सूर्य की खतरनाक यू.वी. विकिरण पृथ्वी पर सीधा प्रभाव नहीं डालते हैं, जिससे पृथ्वी की रक्षा होती है ।
  • यह ओज़ोन की परत जोकि वायुमण्डल में ऊपर स्थित होती है सूर्य की, UV किरणों को अपने आप में सोख लेती है और उनको धरातल पहुँचने से रोक देती है, जिसके कारण पृथ्वी पर रहने वाले लोगों की रक्षा होती है।

 

परमाणु दुर्घटना और परमाणु विध्वंस (Nuclear Accidents and Nuclear Holocaust)

  • परमाणु ऊर्जा पर अनुसंधान किया गया और मनुष्य ने इसे जीवाश्म ईंधन के रूप में स्वच्छ सस्ती ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत के रूप में निर्माण कर दिया अथवा इसको मानवीय प्रयोग के लिए बना दिया गया है।
  • यद्यपि, परमाणु ऊर्जा के लाभों के साथ-साथ इसके कारण अनेक घटनाएँ घटती हैं इसलिए इसके प्रयोग में भी गिरावट और लोगों के जीवन को भी हानियाँ हुईं। परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) के संक्षिप्त इतिहास में असंख्य घटनाएँ घटी हैं, दुर्घटनाएँ हुई है।
  • एक परमाणु दुर्घटना असंख्य जीवन का ग्रास बन जाती है, लम्बी अवधि के रोग पैदा होते हैं, सम्पत्ति की हानि होती है, यह व्यापक रूप से अपना प्रभाव दर्ज कराती है और लम्बी अवधि तक इसका दुष्प्रभाव बना रहता है।
  • परमाणु विकिरणों (Radioactivity) के कारण कैंसर, जेनेटिक रोग या विकलांगता तथा प्रभावित क्षेत्रों में अगले दशकों तक लोगों की मृत्यु होती रहती है और अपंगता के साथ भयानक बीमारियों का कारण बनती है।
  • इस तरह से यह कह सकते हैं कि आगे आने वाली पीढ़ियों को सभी तरह के स्वरूपों में घातक और भयानक प्रभावों को सहन करना पड़ेगा ।

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