जिला परिचय : कैथल | हरियाणा GK
विषय सूची
आंकडें:
स्थापना : 1 नवंबर 1989 | क्षेत्रफल : 2317 वर्ग किलोमीटर | कुल गाँव :277 |
नगर परिषद् : कैथल | तहसील : कैथल, गुहला, फतेहपुर, पुंडरी, कलायत | उप तहसील : सीवन, राजौंद, ढांड |
उपमंडल : कैथल, कलायत, गुहला | खंड / ब्लॉक : कैथल, गुहला, सीवन, पुंडरी, कलायत, राजौंद, ढांड, | लिंगानुपात : 881 |
जनसंख्या घनत्व : 464 | जनसंख्या : 10.74 लाख | लोकसभा क्षेत्र, पुलिस रेंज, राजस्व मंडल : करनाल |
विधानसभा क्षेत्र : कैथल, कलायत, पुंडरी, गुहला (आरक्षित) | जिला स्थिति:
पूर्व में: करनाल उत्तर में: कुरुक्षेत्र उत्तर-पश्चिम : पटियाला दक्षिण में : जींद |
उपनाम:
गुरुद्वारों का शहर हनुमान नगरी, कपि नगरी कपिल मुनि की भूमि छोटी काशी (नवग्रह कुंड) |
मुख्य बिन्दु:
- करनाल से अलग करके जिला बनाया गया : 13वां
- नामकरण:- ऐसा माना जाता है कैथल का नाम युजर्वेद कथा संहिता के रचियता कपिल ऋषि के नाम पर पड़ा इसलिए कपिल मुनि की नगरी भी कहते हैं
- पुराणों के अनुसार इस नगर की स्थापना युधिष्ठिर द्वारा की गई
- कैथल जिला, कुरुक्षेत्र की 48 कोस परिक्रमा का भाग है।
- धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल : कौल (देहाती मेला)
- हनुमानजी की जन्मस्थली मानी जाती है : कैथल
- हनुमान जी की माता अंजनी को समर्पित टीला : अंजनी का टीला
- महर्षि फल्गु का संबंध : फरल गाँव से
- फल्गु मेला : फरल गाँव
- महर्षि पुंडरीक का संबंध : पुंडरी गाँव से
- पुंडरीक मेला : पुंडरी में
- मिश्र तीर्थ : मुनि व्यास ने देवताओं के लिए तीर्थों को एकत्रित किया
- डेरा बाबा शीतलपुरी स्थित है : कैथल में
- बाबा शाह कमाल की मजार , बाबा लड़ाना की समाधि, शेख तैयब का मकबरा
- बाबा मीरा (बड़ा पीर) नब बहार की मजार : गुहला
- ठंडी पुरी की समाधि
- बिक्र बावड़ी पुरानी ईंटों की बनी बावड़ी
- लव-कुश महातीर्थ मुंदरी गांव –
- विदक्यार / वृद्धकेदार झील : कैथल
- नागहद कुंड : पुंडरिक सरोवर में : 1987
- मर्दाना घाट : कैथल में
- सोम सरोवर वर्णन स्कन्द पुराण में
- गुरुद्वारा नीम साहिब : प्रताप गेट कैथल
- गुरुद्वारा मंजी साहिब : कैथल
- टोपी वाला गुरुद्वारा यह रामायण और गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है –
- मंदिरों, गुरुद्वारा व मस्जिदों का गांव : सीवन गांव [7 मंदिर, 4 गुरुद्वारे, 12 मस्जिद ]
- नवग्रह कुंडों के लिए हरियाणा की काशी : कैथल
- नवग्रह कुंड: सूर्य, चंद्रमा, शुक्र, शनि, राहु और केतु, मंगल, बुध, बृहस्पति ,
- नवग्रह कुंडों का निर्माण श्री कृष्ण ने युधिस्टर के हाथों करवाया था
- नवग्रह कुण्डों को तत्कालीन सीएम देवीलाल ने 1987 में जनता के लिए खोला
- महर्षि वाल्मीकि की जयंती : समरसता दिवस
- मान्यता है कि महर्षि वाल्मीकि ने माता सीता तथा लव-कुश को संपूर्ण रामायण की कथा सुनाई थी : मुंदरी गाँव
- सातवीं सदी का उत्तर भारत का एकमात्र मंदिर बना जाता है : कपिल मुनि मंदिर, कलायत
- प्रमुख उद्योग : चावल प्रसंस्करण
- सबसे ज्यादा चावल की किस्में उपजाई जाती है : 98 किस्मे
- राज्य में धान उत्पादन में कैथल का स्थान दूसरा
- भारतीय खाद्य निगम का खाद्य भंडारण के लिए बेस डिपो स्थापित किया गया है : अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड द्वारा
- राज्य की पहली जिला परिषद जो ऑनलाइन हुई
- राज्य में ‘कृषि विज्ञान केंद्र की तर्ज पर खोला गया: पशु विज्ञान केंद्र
- हरियाणा में पहली बार वेब कास्टिंग तकनीक का प्रयोग हुआ : कैथल में
- चुडामणि भाई संतोख सिंह की प्रतिमा का अनावरण कैथल में किया गया
- NILAM विश्वविद्यालय : 2011
- राधा कृष्ण सनातन धर्म कॉलेज – 1954 [ कैथल का सबसे प्राचीन कॉलेज ]
- राज्य की पहला महर्षि बाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय खोला गया : मुंदरी, कैथल
- लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, हिसार का क्षेत्रीय कार्यालय खोला जाएगा : क्योंडक गांव
- कोयल पर्यटन केन्द्र : कैथल
- सरस्वती वन्य जीव अभ्यारण (सनसौर जंगल) : कैथल (1988)
- माता अंजनी का किला: कैथल
- प्राचीन टीला : बालू
- अरनौली किला : अरनौली
- प्रमुख नदियां :- सरस्वती, घग्गर
- NH152 (अंबाला से पाली – राजस्थान)
- व्यक्तित्व : मनोज कुमार बॉक्सर, कवल हरियाणवी, ममता सौदा
- प्रसिद्ध शिक्षाविद और वैज्ञानिक यशपाल [ पदम विभूषण, जन्म-पाकिस्तान) का संबंध : कैथल से
- ये 1986 से 1991 तक UGC के चेयरमैन रहे है।
- हरियाणा की छोटी इटली : धरेदु गांव (क्योंकि इस गाँव के बहुत से लोग इटली देश में रहते है)
- हरियाणा का दूसरा सबसे बड़ा गांव है : पाई गांव कैथल
- क्योंडक गांव गोद लिया था : मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने
मंदिर:
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ग्यारह रुद्री शिव मंदिर :
- इस मंदिर का महत्व काशी विश्वनाथ मंदिर के समान है।
- श्रीकृष्ण की सलाह पर युधिष्ठिर ने ग्यारह रुद्री शिव मंदिर बनवाया था मान्यता है कि यहां पर अर्जुन ने पशुपतास्त्र प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की आराधना की थी
- मान्यता के अनुसार देवताओं ने यहाँ भगवान वामन की स्थापना की थी
- यहाँ 50 फुट ऊंचा शिवालय है
- मंदिर के वर्तमान भवन का निर्माण कैथल के तत्कालीन शासक भाई उदय सिंह की पत्नी ने करवाया था
अंबिकेश्वर महादेव मंदिर : कैथल
- यहां स्थित शिवलिंग को पातालेश्वर या स्वयंलिंगी कहा जाता है।
- यहाँ काली माता या अंबिका की एक मूर्ति है इसी कारण इस मंदिर को अंबिकेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है
- इतिहासकार मानते हैं कि पृथ्वीराज चौहान और उसकी सेना ने मोहम्मद गौरी के युद्ध के समय यहां ठहराव किया था
- लोगों के अनुसार पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद मुस्लिमों ने इस मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया तो यहां स्थित शिवलिंग से रक्त धारा बह निकली जिससे हमलावर सेना डरकर भाग गई
वृद्ध केदारनाथ मंदिर : कैथल
- इस मंदिर को पहले गुफा वाला मंदिर कहा जाता था
- यहां 118 देवी-देवताओं की मूर्ति रखी हुई हैं
- मान्यता है कि जो इन्सान यहां स्नान तर्पण करके दंडित नमन करने के पश्चात तीन चुलू पानी पीता है उसे केदारनाथ तीर्थ यात्रा के समान फल प्राप्त होता है
- पुंडरीक सरोवर : पुंडरी
- सतयुग से आज तक कभी भी इस सरोवर का जल समाप्त नहीं हुआ कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा 1987 में यहां नागहद कुंड का निर्माण करवाया गया
- इस सरोवर पर वृंदावन घाट, गऊघाट, त्रिवेणीवाला घाट, जनाना घाट स्थित है।
- मंदिरों का गाँव : सीवन
- इस गाँव में सात मंदिर, चार गुरुद्वारे, 12 मस्जिदें स्थित है।
- सिया का वन : सीवन
- श्री कृष्ण कृपा सेवा मंदिर : सीवन
- यहां केशांबुक्षाय / माईसर तीर्थ है जहां माता सीता अपने बाल / केश धोती थी
- यहाँ चिडाई तीर्थ, दशाश्वमेध तीर्थ, आत्रेसर तीर्थ भी स्थित है
- यहाँ स्थित ऋणमोचन तीर्थ तीर्थ को पित्र ऋण से मुक्ति देने वाला तत्व माना जाता है
- विचित्र शिवलिंग : मटौर
- • लोगों के अनुसार सावन की शिवरात्रि को यहां स्थित शिवलिंग प्रत्येक व्यक्ति की भुजाओं की लपेट में आ सकता है यदि दूसरी बार ऐसा प्रयास किया जाए तो इसकी गोलाई का क्षेत्र बढ़ जाता है और यह शिवलिंग पकड़ में नहीं आता
- यहाँ गणेश्वरी तथा महेश्वरी नामक दो तीर्थ है
- इसे बे-चिराग नगरी भी कहा जाता है
- मान्यता है कि मारकंडेश्वर ऋषि की माता मातेश्वरी का जन्म स्थान मटौर गांव है
- प्राचीन समय में राजा खट्टांगेश्वर की राजधानी थी : मटौर
- गणेश्वरी तलाब की सीढ़ियां कांच की थी जो अब समाप्त हो चुकी है
- दलीप वंशज राजा खटवांग की पुत्री जिसका नाम महास्वेता देवी था जो काफी समय से कुष्ठ रोग से पीड़ित थी लोगों के अनुसार महाश्वेता देवी गणेश्वरी तीर्थ में स्नान करके रोग मुक्त हो गई उसके बाद राजा ने शिव मंदिर का निर्माण करवाया
- सावन और कार्तिक में दो बड़े मेले का आयोजन किया जाता है
- फल्गु तीर्थ : फरल गांव
- इस तीर्थ का वर्णन महाभारत, वामन पुराण, मत्स्य पुराण में मिलता है
- श्राद्ध के दौरान यहां प्रसिद्ध फल्गु मेला लगता है
- कुरुक्षेत्र के सात पौराणिक वन में फलकी वन ही वर्तमान फरल है जहाँ यह तीर्थ स्थित है।
गुरुद्वारा नीम साहिब : कैथल
- सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर जी पूरे परिवार सहित यहाँ पधारे थे
- मान्यता है कि दंडीहर तीर्थ में स्नान करने के बाद नीम के पेड़ के नीचे ध्यान मग्न थे तभी बुखार से पीड़ित एक व्यक्ति को गुरुजी ने उसे नीम के कुछ पत्ते खाने को दिए और वह ठीक हो गया इस प्रकार लोगों ने एक भव्य गुरुद्वारे का निर्माण किया जिसे गुरुद्वारा नीम साहिब के नाम से पुकारा जाता है।
रजिया बेगम :
मोहन सिंह मंडार की रियासत:
कैथल के अंतिम शासक :
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