जिला परिचय : जींद | हरियाणा GK
आंकडें :
स्थापना: 1 नवंबर 1966 |
क्षेत्रफल : 2702 वर्ग किलोमीटर |
साक्षरता दर: 71.44% |
जनसंख्या: 13.34 लाख |
जनसंख्या वृद्धि दर: 12.13 % |
लिंगानुपात: 871 |
जनसंख्या घनत्व: 494 |
कुल गाँव: 306 |
पंचायत समितियाँ: 7 |
पुलिस रेंज & राजस्व मण्डल : हिसार |
जिला परिषद वार्ड : 26 |
तहसील : जींद, जुलाना, नरवाना, उचाना, अलेवा, सफीदों |
उप तहसील : पिल्लूखेड़ा, |
उपमंडल : जींद, नरवाना, सफीदों, उचाना |
खंड / ब्लॉक: जींद, जुलाना, नरवाना, उचाना, अलेवा, सफीदों, पिल्लूखेड़ा |
विधानसभा क्षेत्र : जींद, नरवाना, उचाना, सफीदों |
अन्य नाम: हरियाणा का दिल / हृदय |
लघु हरिद्वार : पांडू पिंडारा |
पर्यटन केंद्र:
- हरिअल (नरवाला), ओसीस (उचाना), बुलबुल झील – जींद
- पुष्कर तीर्थ- मान्यता के अनुसार भगवान परशुराम के पिता जमदग्नि ने यहाँ तपस्या की थी।
- सोम तीर्थ – मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण जी के कहे अनुसार पांडवों ने युद्ध में मारे गए योद्धाओं का यहां पर पिंडदान सोमवती अमावस्या को किया था।
- पाण्डुपिंडारा – मान्यता अनुसार पांडुवों ने अपने पूर्वजों का पिंडदान यहीं किया था।
- प्राचीन स्थल हंसदेहर – ऋषि कर्दम ने इस स्थान पर कई वर्षों तक तपस्या की । मान्यतानुसार इस स्थान पर भगवान ब्रह्मा ने ऋषि कर्दम के विवाह में भाग लिया और विवाह में सम्मिलित होने के लिए वह एक हंस पर सवार हो आए। इसलिए इस स्थान का नाम हंसदेहर पड़ा। हटकेश्वर सफीदों क्षेत्र के हाट गाँव में हटकेश्वर धाम महर्षि – दधीचि की तपोस्थली है। प्रतिवर्ष इस स्थान पर मेले का आयोजन किया जाता है।
- धमतान साहिब का गुरुद्वारा: यह गुरुद्वारा सिक्खों के नवें बहादुर के रात्रि विश्राम करने के कारण प्रसिद्ध है।
- मिल्क प्लांट: यहां वीटा (Vita) का मिल्क प्लांट बना हुआ है, जो एक बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है।
- पशुओं का चारा प्लांट – पशुओं हेतु उत्तम चारे के निर्माण के लिए एक प्लांट बना हुआ है। इस प्लांट में विदेश निर्मित मशीनों का इस्तेमाल होता है।
- चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय 2013 में स्थापना
- अभयारण्य बीरबारा वन्य जीव अभयारण्य 2007 में स्थापना
मेले
- पांडु – पिंडारा: अमावस्या का मेला पिंडदान के लिए प्रसिद्ध है। पांडवों ने अपने पूर्वजों का पिंडदान यहीं किया था।
- रामराय का मेला: यह रामराय में लगता है। मान्यता के अनुसार भगवान परशुराम ने इस स्थल पर यज्ञ किया था।
- शिवजी मेला – भूरायन में लगता है।
- सच्चा सौदा मेला – सिंह पुरा ।
- बाबा भोला नाथ का मेला खरकराम ।
- नागक्षेत्र तीर्थ मेला – सफीदों ।
- नागदेव का मेला – घोघड़िया ।
- धमतान साहिब का मेला धमतान ।
- हरकेशवर का मेला – हाट गांव, सफीदों।
- बिल सर का मेला – हंसडेसर ।
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प्रमुख उद्योग :
- साइकिल व कलपुर्जे उद्योग
- थर्मामीटर बनाने का कारखाना
- पानी के पाइप बनाने की फैक्ट्री
- हिंदुस्तान पेट्रोलियम गैस प्लांट
- हिंदुस्तान जिप्सम प्राइवेट लिमिटेड
- हरियाणा लैदर केमिकल लिमिटेड
- इंडस्ट्रियल केबल इंडिया लिमिटेड जफरगढ़,
- चमड़ा उद्योग में जींद का स्थान : दूसरा
वीटा मिल्क प्लांट जींद
- हरियाणा डेयरी विकास निगम ने 1971 में राज्य का प्रथम आधुनिक मिल्क प्लांट जींद में स्थापित किया
- क्षमता : 1 लाख लीटर दूध प्रतिदिन
- द जींद कोऑपरेटिव शुगर मिल लिमिटेड : जींद स्थापना 16 फरवरी 1985 1998 में इस मिल को पूरे देश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ , मिल की प्रतिदिन गन्ना पेराई क्षमता: 125 टन
- हैफेड कैटल फीड प्लांट : जींद, स्थापना 1974
- लक्ष्य फूड इंडिया लिमिटेड : कंडेला गांव, स्थापना 2010
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प्रसिद्ध मंदिर / धार्मिक स्थल व पर्यटन केंद्र:
- भूतेश्वर मंदिर निर्माण 1878-80 ई. महाराजा रघुवीर सिंह ने [इसका संबंध 48 कोस कुरुक्षेत्र से है ] यह रानी तालाब में है
- राज्य में एकमात्र मंदिर जिसे अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है
- पुष्कर तीर्थ :
- प्राचीन नाम – पौन्करी खेड़ा : खोज भगवान परशुराम
- यहाँ स्नान करने से ब्रह्मा विष्णु महेश की आराधना पूरी होती है
- हाटकेश्वर तीर्थ : हॉट गांव : 68 तीर्थ स्थलों का संगम
- शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव ने देवताओं को किसी बाल ब्रह्मचारी व्यक्ति की हड्डियों से बने अस्त्र प्रयोग करने की सलाह दी थी इसीलिए ऋषि दधीचि ने लोकहित में अपनी हड्डियां दान करने से पूर्व सभी 68 तीर्थ में स्नान करने की इच्छा व्यक्त की थी जिससे सभी तीर्थ यहाँ उपस्थित हो गए और ऋषि दधीचि ने अपने शरीर यही त्याग दिया
- सावन मास के अंतिम सोमवार को यहां मेला लगता है
- इस तीर्थ को देव तीर्थों की श्रेणी में रखा गया है
- पुरातत्व विभाग को खुदाई के दौरान महाभारत कालिन तीर मिले हैं
- सोम तीर्थ पिंडारा जींद
- इस तीर्थ को पिंड तारक भी कहा जाता है
- इसका जिक्र कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम् में मिलता है
- प्राचीन समय में के इसके तटों पर स्थित आश्रमों में 108 शंख एकसाथ बजा करते थे
- इंसैहडर तीर्थ : कपिल मुनि के पिता का जन्म स्थान तथा ब्रह्मा जी यहां हंस की सवारी करके आए थे
- जामिनी तीर्थ : जमनी गाँव [भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि का मंदिर]
- मुजावता तीर्थ:- मान्यता है कि जो व्यक्ति यहां व्रत कर ले तो भगवान गणेश का आवास मिलता है
- धमतान साहिबः– धमतान, नरवानाः नौवें गुरु तेगबहादुर दिल्ली औरंगजेब को शहीदी देने जाते हुए यहां रुके थे
रामराय तीर्थ:- [ रामहद] कुरुक्षेत्र का दक्षिणी द्वार
- मान्यता है भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण वनवास के समय यहां पधारे थे
- भगवान परशुराम की जन्म स्थली
- देवव्रत भीष्म से सम्बन्धित है।
- मान्यता है कि भगवान परशुराम ने अपने तपोबल से यज्ञ करके सभी तीर्थ यहाँ प्रतिष्ठित कर दिए थे
- पांडू पिंडारा व फल्गु आदि पितृ तीर्थ है परंतु रामराय को देव तीर्थ माना गया है
- विधवा महिलाएं चौदस की रात में आकर रामराय तीर्थ पर अपने पुराने वस्त्र त्याग करती है
- रामराय के निकट ही कल्याणी तीर्थ है मान्यता है यहां स्नान करने से रोग से मुक्ति मिलती है
- यहां भगवान परशुराम का प्राचीन मंदिर स्थित है
- मंदिर का जीर्णोद्धार जम्मू कश्मीर नरेश रणबीर सिंह ने किया था
- जलापूर्ति के लिए महाराजा जींद ने नहर से जलापूर्ति की व्यवस्था की थी
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- टूढवा तीर्थ: भीम ने यहां दुर्योधन को ढूंढ कर मारा [ अभिज्ञान शाकुन्तलम् में वर्णन]
- तीर्खु तीर्थ : सींक व पाथरी गाँव
- यक्ष की 10 फीट ऊंची प्रतिमा विद्यमान है
- यह तीर्थ महाभारत के यक्ष तीर्खु के नाम से प्रसिद्ध है
- महाभारत के युद्ध के मैदान का दक्षिणी भाग था
- 15वीं सदी में यहां वैष्णव मत के प्रचार हेतु प्रथम वैष्णव पीठ की स्थापना हुई थी
- मठ की स्थापना : स्वामी शोभूराम ने 1422 में की
- खांडा तीर्थ : यहाँ भगवान परशुराम मंदिर है और मान्यता है कि भगवान परशुराम की माता रेणुका जी जामनी गांव से प्रतिदिन स्वर्ण कलश से पानी लेने जाती थी और जब इस स्वर्ण कलश को चोरों ने चुराए तो वह मिट्टी का बन गया व आज भी यह कलश मंदिर में रखा हुआ है
- पांडू पिंडारा :
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- हरियाणा का छोटा हरिद्वार
- यहां पांडवों ने 12 वर्षों तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा की और अपने पूर्वजों का पिंडदान किये संस्
- मान्यता यह भी है कि चंद्रमा अपनी पत्नी रोहिणी के साथ यहां आए थे
- यहाँ पितरों के पिंड दान किए जाते हैं
- अन्य नाम सोमदेव तीर्थ
- यहां ब्रह्मा जी के तप करने से इस तीर्थ को ब्रह्मा वेदी कहा गया
- नागक्षेत्र सरोवर: सफीदों
- जींद नरेश गणपत सिंह ने संगरूर से मां जगदंबा की एक प्राचीन प्रतिमा को यहां स्थापित करवाया और सरोवर का जीर्णोद्धार करवाया
- हजरत गाजी साहब की दरगाह : नरवाना
- सर्पी देवी मंदिर : सफीदों
- निराकार मंदिर : खरक रामजी गांव
- बाबा गेबी साहिब मंदिर : नरवाना ( इस सरोवर को नागा बाबा का सरोवर कहा जाता है )
- बाबा जीत गिरी मंदिर : ककदौड़
- यक्षिणी तीर्थ : दिखनी खेड़ा गांव
- जयंती देवी मंदिर
- बराह तीर्थ : विष्णु का अवतार
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जींद जिले के अन्य तीर्थ स्थान :
अश्विनी तीर्थ (आसन) , सर्पदमन तीर्थ(सफीदों), रामसर तीर्थ (कुचराना) , सर्पदधि तीर्थ (सफीदों,)लोकोद्वार तीर्थ( लोधार), बिंदुसार तीर्थ ( हंस हैडर), भूतेश्वर तीर्थ( जींद)
पुष्कर तीर्थ / कपिल यक्ष, वराह तीर्थ (बराहकलां) , जगदग्नि तीर्थ(जामनी) , ययाति तीर्थ( कालवा), वंशमुलक तीर्थ ( बरसोला), एकहंस तीर्थ ( इक्कस), सन्निहित तीर्थ (रामराय), पंचनद तीर्थ, कायशोधन तीर्थ( कसुहन) |
जींद रियासत :
गणपत सिंह :- 1763-86
- फुलकिया मिसल के संस्थापक फूलसिंह के पुत्र गणपत सिंह ने जींद रियासत की स्थापना 1763 ई. में की
- जींद और करनाल में किले का निर्माण करवाया
- राजा गणपत की बहन बीवी राजकौर का विवाह किया मिसल के सरदार महासिंह से हुआ जिनके बाद में उन्हें महाराजा रणजीत सिंह पुत्र हुए
भाग सिंह : 1786-1813
- इन्होंने 1803 में दूसरे आंग्ल-मराठा युद्ध में अंग्रेजो का साथ देने के लिए इनाम के तौर पर उन्हें गोहाना की जागीर दी
प्रताप सिंह : 1813-14
- जींद का विद्रोह : 1814 प्रताप सिंह के नेतृत्व में अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह
- 1814 में अंग्रेजों ने रानी सुब्राय को प्रशासन सौंप दिया और प्रताप सिंह को कारावास में बंद कर दिया।
- 1816 में प्रताप सिंह की मृत्यु
फतेह सिंह 1816-22
संगत सिंह 1822-34
सरूप सिंह 1834-64
- 1857 की क्रांति में राजा सरूप सिंह ने अंग्रेजों की सहायता की और उन्हें दादरी की जागीर ईनाम के रूप में दी गई
रघुवीर सिंह 1864-87
- जींद रियासत का अंतिम शासक
- नवंबर 1889 में पूर्ण सता मिली
- प्रथम विश्व युद्ध में जींद की सेनाओं ने अंग्रेजों का साथ दिया
- जींद इंपीरियल सर्विस रेजीमेंट साढ़े 3 साल तक दक्षिण अफ्रीका के मोर्चे में रही
- 1927 में जींद राज्य प्रजामंडल की स्थापना नरवाना में की गई
- 1948 में भारत देश में जींद रियासत का विलय और इसी के साथ सरकार ने 15 जुलाई 1948 को जींद रियासत को नवगठित पटियाला व पूर्वी पंजाब राज्य संघ ( PEPSO/PEPSU) में शामिल कर दिया गया
PEPSO/PEPSU का गठन :
- देश की आजादी के बाद 1947 में जींद की जनता ने पंजाब राज्य में शामिल होने का निर्णय लिया
- PEPSO/PEPSU राज्य में 1948 में कुल 8 जिले थे : पटियाला, संगरूर, बरनाला, भटिंडा, कपूरथला, फतेहगढ़ साहिब, महेंद्रगढ़, कोहिस्तान और 1953 में बरनाला को संगरूर में मिला दिया गया उस समय संगरूर जिले में पांच तहसील मलेरकोटला, संगरूर, नरवाना, जींद थी
- 1966 में हरियाणा गठन के समय संगरूर जिले में तीन तहसील पंजाब में चली गई और जींद और नरवाना को वर्तमान जिला जींद में शामिल कर दिया गया
- 1967 में जींद तहसील को विभाजित कर के सफीदों को नई तहसील बनाया गया
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