हरियाणा में आर्य समाज
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हरियाणा में आर्य समाज
- सामाजिक एवं राजनीतिक स्तर पर हरियाणा में नवीन चेतना को जागृत करने का श्रेय आर्य समाज को दिया जाता है। इसकी स्थापना 1875 ई. में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने की थी।
- हरियाणा में महर्षि दयानन्द प्रथम बार अम्बाला शहर में 17 जुलाई, 1878 को तथा दूसरी बार राव युधिष्ठिर के कहने पर रेवाड़ी में 24 दिसम्बर, 1880 को आए थे।
- उन्होंने यहाँ निवास कर अविद्या, अज्ञानता एवं रूढ़िवाद के खिलाफ व्यापक प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने रेवाड़ी में आर्य समाज की एक शाखा भी स्थापित की। रेवाड़ी में उन्होंने एक गौशाला की भी स्थापना की।
- चौधरी रामनारायण भगान व पं. शम्भूदत्त ने स्वामी जी के भाषणों से प्रभावित होकर सोनीपत में आर्य समाज की स्थापना की।
- राज्य के हिसार जिले में लाला लाजपत राय के सहयोग से आर्य समाज की स्थापना की गई थी।
- स्वामी श्रद्धानन्द ने फरमाणा आर्य समाज की वर्ष 1905 में तथा खटकड़ आर्य समाज की वर्ष 1907 में स्थापना की थी।
राज्य में आर्य समाज व आन्दोलन
- हरियाणा में आर्य समाज द्वारा चलते आन्दोलनों की धुरी में भक्त फूलसिंह, स्वामी स्वतन्त्रानन्द, आचार्य भगवान देव आदि थे, जिन्होंने आर्य समाज का प्रचार व प्रसार करते का सूत्रपात कर नेतृत्व किया हुए अनेक आन्दोलनों का सूत्रपात कर नेतृत्व किया
आन्दोलन | वर्ष | घटनाक्रम |
समालखा आन्दोलन | 1916 | अंग्रेज सरकार द्वारा फौजियों को मांस प्रदान करने हेतु समालखा गाँव में गौ वध केन्द्र खोले जाने के विरोध में आर्य समाजियों ने आन्दोलन किया, जिसका नेतृत्व फूलसिंह ने किया। |
पानीपत आन्दोलन | 1930 | सरकार द्वारा आर्य समाज के जुलूस निकालने पर पाबन्दी के विरोध में आर्य समाजियों ने आर्य रक्षा समिति बताकर जुलूस निकाला। |
लाहौर बूचड़खाना आन्दोलन | 1937-38 | द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान लाहौर में गौहत्या केन्द्र खोले जाने के विरोध में आर्य समाजियों ने आन्दोलन किया। |
हैदराबाद आन्दोलन | 1939 | हैदराबाद रियासत के आर्य समाज की गतिविधियों पर रोक लगाने के खिलाफ हरियाणा में भक्त फूलसिंह के नेतृत्व में आर्य समाज का आन्दोलन । |
लोहारू आन्दोलन | 1940 | लोहारू रियासत में आर्य समाज के प्रचार पर रोक थी, जिसके विरुद्ध आन्दोलन हुआ। |
मोठ आन्दोलन | 1940 | भक्त फूलसिंह लोगों के झगड़े निपटाने, पाठशालाएँ खुलवाने, चरागाह छुड़वाने आदि कार्य स्वयं बिना किसी सहायता के करते थे। उन्होंने एक बाहु रेजीमेण्ट’ की स्थापना की थी। |
हिन्दी सत्याग्रह आन्दोलन | 1957 | सरदार प्रताप सिंह कैरो के शासन में हिन्दी को संयुक्त पंजाब में उचित स्थान दिलवाने हेतु। |
कुण्डली बूचड़खाना आन्दोलन | 1968 | हरियाणा और भारत सरकार ने मिलकर कुण्डली, जिला रोहतक में बूचड़खाना खोले जाने के निर्णय के खिलाफ आर्य समाजियों का आन्दोलन । |
हरियाणा में आर्य समाज का प्रचार-प्रसार
शहर / गाँव | स्थापना वर्ष | सदस्य संख्या |
सिरसा | 1880 | 21 |
रेवाड़ी | 1892 | 21 |
रोहतक | 1885 | 10 |
शाहबाद (कुरुक्षेत्र) | 1893 | 19 |
थानेसर | 1894 | 15 |
हिसार | 1886 | 59 |
हाँसी | 1889 | 12 |
बल्लभगढ़ (फरीदाबाद) | 1896 | 10 |
हथीन (पलवल ) | 1890 | 5 |
कोसली (रेवाड़ी ) | 1897 | 10 |
भिवानी | 1890 | 36 |
झज्जर | 1891 | 13 |
पुण्डरी (कुरुक्षेत्र) | 1900 | 20 |
कैथल | 1900 | 30 |
लाडवा(कुरुक्षेत्र) | 1900 | 8 |
सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार
- आर्य समाज के आन्दोलन से प्रभावित होकर हरियाणा के रूढ़िवादी हिन्दुओं ने प्रदेश में सनातन धर्म सभा की स्थापना की।
- इस आन्दोलन के प्रमुख नेता झज्जर के पं. दीनदयाल शर्मा व्याख्यानवाचस्पति थे।
- इनका जन्म 1863 ई. में रोहतक के झज्जर नामक गाँव में हुआ था।
- इन्होंने झज्जर में रिफा-ए-आम सोसायटी का भी गठन किया, जिसमें हिन्दू व मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शामिल थे।
- इन्होंने झज्जर से ही हरियाणा नामक उर्दू रिसाला भी निकाला।
- 22 अगस्त, 1886 को पं. दीनदयाल शर्मा ने झज्जर में प्रथम सनातन धर्म सभा की स्थापना की, जिसके प्रथम सभापति राम नत्थूलाल थे।
- 1890 ई. में भिवानी में सर्द्धम प्रकाशिका सभा गठित की गई, जो 1891 ई. में सनातन धर्म सभा के रूप में स्थापित हुई ।
- 1890 ई. में ही भिवानी में युवाओं की सुधर्मा बालसभा बनाई गई।
- 1891 ई. में पं. दीनदयाल शर्मा ने सिरसा में सनातन धर्म सभा की स्थापना की।
- 1892 ई. में करनाल व कुरुक्षेत्र में तथा 1895 ई. में सफीदो, रेवाड़ी, पलवल, रोहतक, गुरुग्राम, कैथल, पानीपत एवं बेरी में सनातन धर्म सभा की स्थापना की गई।
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