1946 का चुनाव व स्वतंत्रता प्राप्ति

1946 का चुनाव व स्वतंत्रता प्राप्ति

  • वर्ष 1946 के चुनाव से पूर्व ही पंजाब और हरियाणा की यूनियनिस्ट पार्टी कमजोर हो गई थी।
  • परिणामस्वरूप इस वर्ष हुए चुनाव में मुस्लिम लीग को 75, कांग्रेस को 51, अकाली दल को 22 तथा यूनियनिस्ट पार्टी को मात्र 20 सीटें मिलीं।
  • निर्दलीय उम्मीदवार 7 स्थानों पर विजयी हुए। कांग्रेस ने यूनियनिस्ट पार्टी के सहयोग से सरकार बनाई।
  • इस सरकार में हरियाणा के कांग्रेसी नेता चौधरी लहरी सिंह शामिल थे।
  • वर्ष 1946 में चुनावों के दौरान पंजाब का पश्चिमी भाग मुस्लिम बहुल तथा पूर्वी भाग व हरियाणा हिन्दू बहुल था । यहाँ साम्प्रदायिक तनाव चरम पर था। फलतः अनेक साम्प्रदायिक दंगे हुए।
  • मेवों के नेता खान बहादुर मोहम्मद यासीन खाँ MLA बनते रहे थे, परन्तु सन् 1946 में खाँ साहब चुनाव हार गए तो इनके समर्थन में गाँधी जी ने सोहना (मेवात) में 19 दिसम्बर गुडगाँव – हिसार क्षेत्र से सन् 1236, 30, 37 में पंजाब में यूनियनिस्ट पार्टी से M.L.C, को दौरा किया था। 
  • इन्हीं परिस्थितियों में 14 अगस्त, 1947 को भारत का विभाजन हुआ और भारत तथा पाकिस्तान नए स्वरूप में आए।
  •  15 अगस्त को भारत स्वतंत्र हुआ तथा हरियाणा पंजाब का भाग बना रहा। 
  • पानीपत में मुस्लमानों की संख्या अधिक थी। आजादी के बाद अधिकतर मुस्लमान पाकिस्तान जा रहे थे, इस विभाजन से दुःखी होकर देशभक्त मौलाना लकाउल्ला ने गाँधी जी से पानीपत में आने की अपील की, जिसके पश्चात गाँधी जी ने 09 दिसम्बर, 1947 को पानीपत का दौरा किया तथा मुस्लमानों से शक्ति बनाएँ रखने की अपील की।
  • स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् गाँधीजी दिसम्बर, 1947 को मेवात का दौरा करने आए, उन्होंने मेवात के घासेड़ा गाँव में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए पूर्ण सुरक्षा का आश्वासन दिया। तत्पश्चात् मेवात से पलायन रुक गया। 
  • मेवात के घासेड़ा गाँव को गाँधी ग्राम भी कहा जाता है। 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने गाँधीजी की हत्या कर दी। पूरी कानूनी प्रक्रिया के पश्चात् नाथूराम गोडसे को अम्बाला जेल में फाँसी दे दी गई।

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